अरन्या का बीज कुछ उत्साही युवाओं को साथ लेकर, खुशहाली के प्रारम्भ होने से भी कही पहले सन् 2001 में पड़ चुका था। समीर जी के प्रयासो से अरन्या एक साथ बरेली,गाजियाबाद,आगरा,कासगंज और नोयडा में मूर्त रूप ले सकी। इसका उद्देश्य समाज के लोगों खासकर युवाओ को प्रकृति पर्यावरण एवं समाज से जुडे मुद्दो के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील बनाने से एक कदम आगे बढकर इन मुद्दो के समाधान में भागीदार बनाना था। हमारे जागरूकता अभियान सिर्फ समस्याये पहचानने से ज्यादा समाधान निकालने पर केन्द्रित थे।
स्कूल,कालेजिज और मुहल्लों में जाकर कार्यकर्ताओं ने लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि बिजली-पानी का दुरूपयोग न करें, जल संरक्षण के लिये वर्षा जल संरक्षण को अपनाया जाय, कहीं पानी बरबाद होता दिखे तो तुरन्त उसे रोकने के प्रयास किये जायें, प्लम्बर ले जाकर घर-घर नल और टंकिया सही कराये, ताकि पानी की बरबादी रूके और लोग भी जागरूक हो सके।
भाषण, निबन्ध, पोस्टर, डिबेट सेमीनार और प्रदर्शनियों के माध्यम से भी आज के युवा समाज के लिये सोचते हैं और मौका मिलने पर अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटते, इसका साक्षात उदाहरण फाउन्डेशन द्वारा प्रेरित युवाओं द्वारा अब तक एक हजार यूनिट से भी ज्यादा का स्वैच्छिक रक्तदान करना है और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।
पर्यावरण संतुलन की दिशा में 2011 से फाउन्डेशन ने फलदार वृक्ष लगाने के अभियान की शुरूआत की । इस अभियान को नाम दिया ” वृक्ष-मित्र-ग्राममित्र “ और स्थान किसान का घर आंगन/उद्देश्य दो मे पहला धरती को हरा भय बनाये रखना और दूसरा किसान के बच्चों तक फलों की पहुँच निश्चित करना। 2011 से 2014 के बीच कुल 28 हजार फलदार पौधे लगाये गये। सन् 2015 में इस अभियान को महाअभियान में बदल दिया गया और इसके अन्र्तगत 70 हजार फलदार पौधे सिर्फ अगस्त के महीने में लग चुके हैं। पर्यावरण, प्रकृति एवं समाज के संरक्षण और संवर्धन के हमारे प्रयास निरन्तर जारी हैं।