एक बड़ी प्रसिद्ध कहावत है " Education is the only tool by which you can transform someone's Life " खुशहाली में हम भी यही मानते हैं कि अगर किसी की जिन्दगी में स्थायी परिवर्तन लाना चाहते हैं तो सिर्फ शिक्षा के माध्यम से ही ला सकते है। जरूरतमंद, पोषित और वंचित वर्ग के बच्चों की जिन्दगी में शिक्षा का उजियारा लाने का प्रयास है इन्द्रधनुश ।
इन्द्रधनुश की शुरुआत सन् 2009 में, रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के विद्याथियों को मदद से एक छोटे से प्रयास से हुयी थी। विभिन्न राज्यों से अपने परिवारां के साथ आये हुये मजदूर विश्वविद्यालय में निर्माण कार्या में लगे हुये थे। उनके बच्चों का पूरा दिन बेगार और खेलकूद में ही बीत जाता था। फाउंडेशन के कार्यकर्ताओ ने इन बच्चो को षिक्षित करने का संकल्प लेकर इनके लिये विश्वविद्यालय में ही दो घंटे का सांध्यकालीन स्कूल प्रारम्भ किया और इसे नाम दिया इन्द्रधनुश। देखते देखते, 16 बच्चो से शुरु हुआ ये स्कूल 150 बच्चों तक पहुंच गया। धीरे धीरे इन्द्रधनुश के कदम आगे बढते गये और 2010 में हमने आठ बहुत जरूरतमंद बच्चों की पढाई का पूरा खर्च उठाना शुरु किया।
सन् 2014 में एक बडे कदम के रूप में हमने गढिया लुहार समाज के बच्चों को शिक्षा दिलाने का प्रयास शुरु किया। एतिहासिक रूप से ये गढि़या लुहार, महाराणा प्रताप की सेना के लिये हथिायार बनाने का काम करते थे। पर इस गर्व भरे इतिहास से ये समाज वर्तमान में दुर्भाग्य से पोषित, वंचित और पीडित समाज में बदल गया। आजादी के 68 साल बाद भी ये परिवार सडक किनारे तम्बू लगाकर नरकीय जीवन जीने को अभिषप्त हैं। परिवार का पेट भरने की चिन्ता के बीच, बच्चों की पढाई लिखाई का आर्थिक बोझ सहन करना इनके सामथ्र्य में नहीं है। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुये, फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर जी ने इन बस्तियों में जाना शुरु किया। इन परिवारो का दुख दर्द बांटते हुये सर्दियों में इनके बच्चों को गर्म कपड़े तथा पूरी बस्तियों को रजाई,गद्दं एवं कम्बल वितरण का अभियान चलाया। चिकित्सा कैम्प लगाये और इससे भी आगे जाकर शिक्षकों की नियुक्ति कर,बरेली शहर की तीनों बस्तियों में संध्याकालीन स्कूल ”इन्द्रधनुश“ का प्रारम्भ हुआ साल भर बीतते बीतते इन बस्तियों के 53 बच्चों को शहर के स्कूल्स में आगे की पढाई के लिये प्रवेष दिला दिया गया। साथ ही साथ इनकी फीस,किताबें कपडे और आने जाने का किराया तक फाउंडेशन अपने संवदेनशील कार्यकर्ताओें और सहयोगियों की मदद से उठा रहा है।
इन बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए फाउंडेशन ने एक छात्रावास बनाने का संकल्प लिया था और वो कहते हैं ना 'Where there is a will there is a way' इस छात्रावास का भूमि पूजन 2 अगस्त 2015 को किया जा चुका है। फाउंडेशन सैकड़ो जरूरतमंद और होनहार बच्चों को शिक्षा दिलाने के अपने प्रयास में दिन रात लगा हुआ है। इन्द्रधनुश इन बच्चों की जिन्दगी में भी खिल सके, हमारा बस यही प्रयास है।